पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी इन 4 लक्षणों से लंबे समय तक झूझते हैं कोरोना मरीज

पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी इन 4 लक्षणों से लंबे समय तक झूझते हैं कोरोना मरीज

सेहतराग टीम

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि कोरोना सिर्फ सर्दी-जुकाम या फ्लू जैसा संक्रमण नहीं है। इसका हर उम्र के लोगों में अलग-अलग प्रकार से जोखिम होता है और कुछ को ज्यादा गंभीर रूप प्रभावित करता है।

विडियो देखें- कोरोना के वो लक्षण जो ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक रहते हैं

इस रेस्पिरेटरी वायरस यानी घातक श्वसन वायरस के लंबे समय तक चलने वाले दुष्प्रभाव हो सकते हैं। कई लोगों में वायरल लोड कम हो सकता है लेकिन कुछ विशेष लक्षण जैसे कि खांसी, गले में खराश और थकान बीमारी का मुकाबला करने के बाद भी हफ्तों तक बने रह सकते हैं। कोरोना से पूरी तरह ठीक होने के बाद मरीज हार्ट की समस्याओं, मानसिक परेशानियों की शिकायत के साथ वापस अस्पताल आ रहे हैं। ऐसे में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम केवल कोरोना से ठीक होने के लिए वैक्सीन का इंतजार न करें, बल्कि ऐसे कड़े कदम उठाएं ताकि इन संभावित खतरों से खुद को दूर रख सकें।

ब्रिटेन में किये गए एक अध्ययन में ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनमें पाया गया है कि 10 में से एक व्यक्ति वायरल संक्रमण के लक्षणों से पीड़ित हो सकता है। यह अध्ययन युनिवेर्सिटी ऑफ लीड्स एंड लीड्स टीचिंग हॉस्पिटल्स द्वारा की गयी है। नेशनल हेल्थ सर्विस ट्रस्ट ने लंबे समय तक चलने वाले लक्षणों और बीमारी के परिणामों के पैटर्न की पहचान करने के लिए कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की जांच की।

इस अध्ययन में कुल 100 लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें दो ग्रुप में बांटा गया, एक में 34 लोग थे जो गभीर रूप बीमार थे और उन्हें अस्पताल में आईसीयू  (ICU) रखा गया, जबकि दुसरे में 68 लोग थे जो हल्के व मध्यम संक्रमण के लक्षण वाले थे, जिन्हें आईसीयू (ICU) में नहीं रखा गया। अध्ययन के परिणाम मेडिकल वायरोलॉजी के जर्नल में प्रकाशित किये गए।

अध्ययन के परिणाम में यही समाने आया कि ज्यादातर मरीज ठीक होने के बाद एक साइड-इफेक्ट या लगातार लक्षण से पीड़ित थे। मध्यम से गंभीर तक के लक्षणों की एक भी बनाई गयी ,जी कुछ इस प्रकार हैं।

थकान

बीमारी से ठीक होने के बाद पहले जैसी ताकत पाने में कुछ समय लगता है, लेकिन कोरोना वायरस में देखा जा रहा है कि मरीज़ों को ठीक होने के कई हफ्तों, यहां महीनों बाद भी थकावट और कमज़ोरी महसूस होती है, जो एक चिंता का विषय बन गया है। न सिर्फ COVID से जुड़ी थकावट पर विशेषज्ञों ने काफी चर्चा की है, बल्कि अध्ययन में शामिल लगभग 60 फीसदी रोगियों ने माना की ठीक होने के हफ्तों बाद भी उन्हें थकान, सुस्ती और कमज़ोरी महसूस हो रही थी इसमें एक तिहाई लोग जो कोरोना स गंभीर रूप से पीड़ित थे उन्होंने मध्यम या गंभीर थकान होने की शिकायत की।

इसके अलावा शरीर में ऊर्जा का स्तर असंतुलित होने से मांसपेशियों में दर्द और सुइयों के चुभने जैसा दर्द जैसे लक्षणों को अनुभव कर सकते हैं।

सांस फूलना-

सांस लेने में तकलीफ और छाती में मरोड़ जैसा दर्द, कुछ ऐसे प्राथमिक लक्षण हो सकते हैं जो यह बता सकते हैं कि आपका COVID संक्रमण कितना बुरा है। हालांकि, कुछ मरीज़ ऐसे भी हैं, जो संक्रमण से ठीक हो गए हैं, लेकिन सांस की तकलीफ लंबे समय तक रहती है। सांस लेने में तकलीफ, धड़कनो का तेज़ होना, कोविड-19 का दूसरा सबसे आम प्रभाव माना जा रहा है, हालांकि अस्पताल में भर्ती होने मरीजों ने स्वीकार किया कि वे बीमार होने के पहले ऐसे लक्षण कभी पीड़ित नहीं हुए। दोबारा यह लक्षण उन लोगों में अधिक पाया गया जिन्हें आईसीयू रखा गया।

याद्दाश्त का कमज़ोर होना

रोगियों में से एक-चौथाई लोग, जिनके कोविड-19 के लक्षण मध्यम या गंभीर थे, उन्होंने माना कि बीमारी से ठीक के बाद उन्होंने न्यूरोसाइकोलॉजिकल संबंधित लक्षण महसूस किए। रिकवरी सेंटर के अंदर और बाहर चल रही चीज़ें, रोगियों में मानसिक परेशानी, याद्दाश्त या व्यवहार से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। मौत का डर, दर्द, नींद न आना, एक ही जगह लेटे रहना या किसी से बात न कर पाना, अकेलापन, कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो कोरोना वायरस के मरीज़ों के लिए स्थिति को और भी मुश्किल बना देती हैं।

तनाव और बेचैनी

कोरोना वायरस महामारी के बाद लॉकडाउन ने हम सभी के ज़िंदगी में तनाव और बेचैनी को बढ़ा दिया है। जो लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हुए उनके लिए ऐसी स्थिति को झेलना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसा देखा जा रहा है कि बेचैनी और तनाव लंबे समय तक उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है।

 

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